रविवार, 22 अक्तूबर 2023

बरसात

 [1/7, 3:59 PM] Sheela Tapadia Nagpur: श्री

भीगी भीगी सड़के है,

भीगा भीगा तन भी है।

कुछ यादे मतवाली सी,

भीगा भीगा मन भी है।


बचपन में बारिश की बूंदे,

लगती मुझे खिलौना थी।

हाथ न आती कभी तो,

लगती जैसे जादूटोना थी।


बड़ा हुआ तो,रुत सुहानी, 

मस्तानी मुझको भाने लगी।

रिमझिम रिमझिम बूंदे जैसे,

मुझसे कुछ बतियाने लगी।


शीतलता अहसास कराती,

गरमी से हुआ किनारा है।

जैसे जमी पर  दुखो का

बुझ गया तपता अंगारा है।


छतरी का विश्वास है ये,

हर बरखा से बचा लेगी।

मैं भी निकल पड़ा राहों में,

विश्वास की इन पनाहों में।


शीला अशोक तापड़िया

[3/7, 2:04 PM] Sheela Tapadia Nagpur: योग गुरु 

🙏🙏

🌹💐🌹💐🌹

 ज्ञान दिया आपने ,

 मन पर गहरी छाप है।

अनुशासन  लगन से,

नित कराते पाठ जाप है।


सतत मार्गदर्शन से, 

मिटता रहा हर ताप है।

प्रकाश ज्ञान का मिला,

ऊर्जा की  पदचाप है।

 

अति विशिष्ठ स्वाध्याय ,

सत्संग की अद्भुत थाप है।

पार होती जीवन नैया

पथप्रदर्शक आप है।


ज्ञान से गुरुदेव आपके ,

अज्ञान ने दूरी ली नाप है।

करत करत अभ्यास के,

 दूर होते दुर्गुण और पाप है।


करते हम नमस्कार,

कृपा का अद्भुत प्रताप है।

चरणों मे भक्ति  बनी रहे,

ज्ञान देते रहे आप है।

[3/7, 7:22 PM] Sheela Tapadia Nagpur: श्री

नाँव चली थी नाँव चली थी

कभी  नाँव चलाया करते थे।

 पेपर पन्नो की नाँव बना ,

डबरों में चलाया करते थे।


झाड़ू का तिनका लेकर,

पीछे से धकेला करते थे।

किसकी डूबी किसकी बची,

हार जीत हम करते थे।


पानी झमझम बरसता था,

गढ्ढो में पानी भरता था।

छपक छपक हम करते थे,

कोई क्या कहेगा नही डरते थे।


धुँआधार जब बारिश होती,

छत पर चढ़ भीगा करते थे।

सुबह सुबह शबनम की बूंदे

मोती सा पकड़ा करते थे।


इंद्रधनुष जब दिखता

मन खिल जाया करते थे,

हल्ला करके छत से ही ,

मोहल्ला इकठ्ठा  करते थे।


बीमार पड़ोगे मां कहती,

बिल्कुल सुना न करते थे।

जमकर बरखी बरखा तो, 

स्कूल की छुट्टी करते थे।

पर्यावरण

 आदरणीय साहित्यकार मंच

आज का चित्र आधारित सृजन


भावी पीढ़ी करे पुकार,

सुन लो हमारी मनुहार।

पेड़ देते है हमको सांसे,

करो न तुम उन पर प्रहार।


पेड़ बचे तो बचेगी धरती,

फल,फूल,अनाज वो देते।

हवा की करते रखवाली,

प्राणरक्षा जीवो की करते।


पूर्वज हमारे ज्ञानी ध्यानी,

धर्महित पेड़ो को जोड़े थे।

रोपण,सिंचन अर्चन कर,

पर्यावरण को सहेजे थे।


करते आप हमसे जो प्यार,

कर दे हम पर ये उपकार।

बनी रहने दे ये छत्रछाया,

ये है सबके जीवन आधार।


शीला अशोक तापड़िया

रविवार, 28 नवंबर 2021

हाइकू

[14/9, 12:43 AM] Sheela Tapadia: हिंदी हमको
पहचान दिलाती
माँ सी लगती

मान रखते
अपनी भाषा का
सम्मान पाते

नजदीकियां
इससे बनी रहे

जल जीवन
निरर्थक न जाय
सोचे सुधर

 शरद - हाइकू 
दुग्ध चांदनी
है बिखरी निखरी 
धवल धरा

सोलह कला
मयंक परोसता 
खीर कटोरा

अमृत रस
शरद ने चखाया
पी हरषाये

चन्द्रमा मिला
चतुर चांदनी से
दिल दे बैठा

नाचे मगन
खुश होके गगन
मीठा मयंक

सुधा बरसा
सुधाकर बटोरे
औंधी लुटिया

 धरा धवल
चान्दनी से नहाई
बिन साबुन

सलिल सुधा
है जीवन प्रदाता
बूंद सहेजे

हम पखेरू
बूंद बूंद सहेजे
सलिल सुधा

नव जागृति
शुभ प्रभात रवि
उषा बालिका

विविध राग
आव्हान है गीतों में
बोल मधुर

नीरव बेला
तेरे स्वरों से भरी
फूलो से मधु

 खूबसूरत
आह ये तेरी आंखे
मृगनयनी

राह निहारूँ
ओह तुम न आये 
मन बेचैन

सलिल सुधा
सरोज सरोवर
सरसे नैन

सलिल सुधा 
सरसे सरोवर
हंस सरोज

 चित्र प्रतीति
पय पद्म पुष्कर
मन लहरी

चित्र प्रतीति
कमल कलकंठ
पोखर वासी

 दुआ आपकी
लेफ्टिनेंट कर्नल
13 दिसम्बर 
पूर्वानुमान
बरसात कहर
उफ दुखद

भविष्यवाणी
नही मिलेगा पानी
हा जानलेवा
अंधेरी रात
लगे भूत बसेरा
सन सन्नाटा

तमिलनाडू
आसमानी आफत
उफ आरही

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

इंसानियत

 इंसानियत


तुलसी स्कूल जाया करती

पढ़ लिखने का सोचा करती

बड़े होकर कुछ बनना है

मां बापू की गरीबी हरना है


समय कष्टकर ऐसा आया

 आशाओं पर पानी फिराया

लॉक डाउन बनी मजबूरी है

घर मे गरीबी मानो पसरी है


सांसो की इक डोर बंधी है

पेट भरना भी जरूरी है

आम बेचकर जीवन यापन

पढ़ाई तो बन गई सपन


ठीक नही घर के हालात

मोबाइल मिले तो बने बात

नजर पड़ी भले मानुष की

लिए आम सारे लाखो देकर


तुलसी अब पढ़ पाएगी

इंसानियत का सबक सीखकर

अमेया हेटे को करे नमन

संवारे और तुलसियो का जीवन


   शीला अशोक तापड़िया

       30 जून 2021

श्रम गीत

 श्रम गीत

गीत गाले  तु गुनगुना ले 

श्रम का भार तू भुला ले

जिसने गाया गुनगुनाया

भार हीन स्वयं को पाया


मल्लाह जब नांव चलता

चप्पू पानी  भेदे जाता

दुखो को पीछे ठेलकर

गीत गाकर राह बनाता


गांव की या ब्रज की वनिता

छाछ घर मे वो बिलोती

मीत बनकर गीत पिरोती

दुविधायें पार कर जाती


मनोभाव शब्दो मे सजाते

गीत आनंद का वो बनाते

सुरीला गीतों का  ये जादू

उत्सव उत्साह का बनाते

पापा की छतरी छाया

 पापा तो पापा होते है

खड़े अडिग,पहाड़ होते है

समस्या का समाधान लिए

बच्चो के आस्मां होते है


चित्र कह रहा कहानी सारी

आये विपदा  कितनी भारी

मैं हूं ना का यकीन भारी

झेलते है तकलीफ  सारी


आगे बढ़ते रुक ना जाते

प्रयास सफल सारे कराते

इंटरनेट की देने सुबिधा

छतरी तान खड़े हो जाते


पालक शानदार कहलाते  

भूमिका जानदार निभाते

सुर्खियां दे रही यश चन्दन

दुनिया करती तुमको वंदन


   शीला अशोक तापड़िया

    1 जुलाई 2021

सोमवार, 28 जून 2021

सांझ सलोनी

 [25/6, 6:12 PM] Sheela Tapadia: सांझ सलोनी

रात की अगुआई

अतिथि जैसे


सांझ सलोनी

दिन ढला बताए

जाग जरा सा


सांझ सलोनी

नित घर को आये

मन को भाये

      शीला तापड़िया

[28/6, 8:43 PM] Sheela Tapadia: निशा मोहिनी

श्याम चादर ओढ़े

तारों जड़ित


निशा मोहिनी

चलचित्र दिखाती

स्वप्न सलोने


निशा मोहिनी

हे आराम दायनी

सुख प्रदाता

शनिवार, 26 जून 2021

मां

 श्री

जय श्री कृष्ण

मां का मां होना भी एक खूबी है

मां तो होती हीरा पन्ना मोती रूबी है

हम जब छोटे थे तब सुपर मोम जैसा शब्द नही जानते थे।

जानते थे मेरी मां सर्वोत्तम मां

जो वो थी।

उनका आचरण हमारे व्यवहार में उतरेगा ,इसके लिए वे सतत सजग रहती थी।

उनके नसीहतों के व्याकरण ने हमारी जीवन भाषा संवारी।

उनके मीठे बोल ह्रदय में प्यार की मिठास भर दिया करते थे।

उनके दिन महीनों वर्ष  की नियमावली

अब हमारा निबन्ध होगया है।

मेरी मां कहती थी,मतलब मेरी नानी कहती कि लाइन के साथ हमेबड़ी रोचकता के साथ ज्ञान पिला दिया करती थी।

रीत रिवाज ,गीत हो या बड़ी पापड़ जैसे कार्यक्रमो में मेरी निपुण मां पासपड़ोस में (जब पास पड़ोस हुआ करते थे )बड़े उत्साह से जाया करती थी।

पुराने कपड़े भी किसी को देना तो दुरुस्त करके देती थी।

काम बाली की बेटियों को भाइयो को राखी बंधवा कर उपहार दिलवाने मे उनको बहुत खुशी मिलती थी।।

समय और धन को संभालने का गजब मैनेजमेंट था।

एक को सवा दिखाने में अत्यंत माहिर थी।

लोगो से प्रेम से मिलने का उनका उत्साह अंत तक कायम रहा।

आज भी उनकी बेटी कहलाने का गर्व महसूस करते है।

   तुम्ही गुरु तुम्ही सखी

   तुम्ही बन कर बहना

   मां तुम ही पहनाती रही

   अनुशासन का गहना

शीला अशोक तापड़िया

मामाजी शादी सालगिरह

 आदरणीय ,मामाजी,मामीजी

शुभदिवस की आज आप दोनों को बधाई, शुभकामनाएं, प्रणाम

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

स्नेह से महकता मन उपवन

घर आपसे लगता  वृन्दावन

वाणी निर्मल भोर का वंदन

कर्म से महकता यश चन्दन

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

विचार सात्विक,सरल,सुंदर

जिससे सुवासित घर आंगन

ममता,प्रेम दया स्नेह आपके

ह्रदय के अनमोल आभूषण

💐💐💐💐💐💐💐

मान, सम्मान योंही  बढ़ता रहे

तन स्वस्थ ,मन आनन्दित रहे

प्रेरणास्त्रोत सदैव आप हमारे

आशिर्बाद आपका   पाते रहे

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

         आपके 

           शीला अशोक

         25 जून 2021

काटोल नागपुर

 KATOL 🌳2🌳NAGAPUR

गुनगुना रही थी सुबह

धूप भी थी खिली खिली

चल पड़े हम भी वँहा

राह जहाँ सबकी मिली

👨‍👨‍👧‍👧👬👭👫👭👨‍👨‍👧‍👦


कुछ नए कुछ पुराने 

साथीयो का साथ था

खेतो की पगडंडियों में

थामे एक दूजे का हाथ था

🤝🤝🤝🤝🤝

मटर बेर गन्ना अमरूद का

मुंह मे जबरदस्त स्वाद था

नास्ता और भोजन दोनो

क्या कहे लाजबाब था

😍😍😍😍😍

खेलो में छिपा हास  परिहास 

रिस्तो में घोलता मिठास

माटी की महक दिलो की चहक

मन को छू रही थी  खास

☘☘☘☘☘☘

अपनेपन की गठरी ये बंधी रहे

ढीली ना पड़े  पकड़ जतन यही रहे

साल दर साल  उत्सव ये मनता रहे

मन मे लिए प्यार  सिलसिला ये चलता रहे

🌳🌳🌳🌳🌳🌳

      शीला अशोक तापडिया

गणगोर

 *गौर ए गणगोर माता* 

गणगौर पर्व राजस्थान के सांस्कृतिक पर्वो में अत्यंत महत्वपूर्ण और बड़ी धूमधाम से मनाए जाने वाला त्यौहार है।यह दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाला हर राजस्थानी अपने जातीय पर्व को अवश्य मनाता है। यह पूजन बिना किसी पंडित के,अपनी लोकशैली में सम्प्पन की जाती है। गणगौर ईशर की युगल  प्रतिमा के साथ भाईये की पूजा की जाती है।

प्रतिमाएं मिट्टी या काष्ट की बनी होती है

बीकानेर की चांदमल ढड्ढा ,एवम उदयपुर की धींगा की गवर अत्यंत मनमोहक और दर्शनीय है।सामंतकाल में इनकी छवि बहुत भव्य हुआ करती थी।


गणगोर,गवरजा,गौर,गवरल ,गवरादे

आदि नामों से पुकारे जाने वाली देवी की पूजा राजस्थान की माटी से जुड़ा हर व्यक्ति बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ करता  है।दाम्पत्य प्रेम के उच्च आदर्शो की शिक्षा देने वाले शिव पार्वती की पूजा*ईशर गणगोर*के रूप में की जाती है।

सुहागन स्त्रियां अटल सौभाग्य एवम कुवांरी कन्याये  सुयोग्य वर की कामना से गवर पूजती है। 16 दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत होलिकादहन के साथ हो जाती है।

होलिकादहन के पश्चात बची राख से पिण्डोलीया बनाई जाती है।केसर,कुंकु,गुलाल,दूर्वा फूल आदि से प्रतिदिन पूजा की जाती है,साथ ही गाये जाते है अति कर्णप्रिय लोकगीत। इन गीतों का माधुर्य अमृत घोल देता है।

पूरे राजस्थानी घरो  का वातावरण गीतमय हो जाता है।

पूजन की हर विधि के साथ जुड़े है  ,अत्यंत मनोहारी गीत।

दूर्वा लाने के लिए माली से बाड़ी याने बगीचा खोलने का अनुरोध"बाड़ी वाला बाडी खोल , बाडी री किवाड़ी खोल"

"गौर ऐ गणगोर माता खोल ए किवाड़ी

बायर उभी छोरिया पूजन वाली"

"अन्न मांगू धन मांगू लांछ मांग लछ्मी

कांई कवर सो वीरो मांगू राई सी भौजाई"

आदि गाकर गवरल से सारे सुखों की कामना कर ली जाती है।

रिश्तों की मिठास भी इन गीतों का अभिन्न अंग है।"म्हारे बाबाजी री जीक म्हारे ताऊजी रे मांडी गणगोर रे रसिया"

उलेखनीय है टिकी रमाकझम टीकी पनकफूल,

मेहंदी लो गई मेहंदी लो,

इये चुंदड़ली रो बाई गवरजा बाई ने कोड"

एवम प्रसिद्ध बड़ी गवर "म्हारी चन्द्र गवरजा भलो ए नादान गवरजा में नख से सिख तक पहने जाने वाले गहनो का वर्णन कर श्रंगार रस की प्रधानता भी बताई गई है

गीत प्रधान इस पूजन में"केशर कुंकु केशर कुंकु भरी रे तलाई"

"ऊँचो चोरों चोंखूंटों जल जमुना रे नीरे मंगाओ जी"

"चंपे री डाली हिंडो मंडयो"

काकड़िये री बेल सदा फल लागे"

म्हारा हरिया ज्वारा लहरियां जवारा"गीतों में जल  और प्रकृति से जुड़े रहने का संदेश शुभकामनाओ के साथ दिया गया है।

मिजाजी ढोला जयपुर जाज्यो जी"

म्हारा बीकानेर रा घाट सुघाट

उदियापुर सु आई गणगोर"

आदि गीतों से राजस्थान के शहरों का उललेख माटी से जुड़े रहने का ख्याल बरबस ही मन मे आजाता है।

इस तरह प्रतिदिन  16 बार "गौर गौर गोमती , ईशर पूजे पार्वती "कन्याये  गाती है।

तथा "पाटा धो पाटा धो"भी किया जाता है।

अंतिम दिन चैत्र शुक्ल तृतीया के पहले दिन बहु बेटियो को मेहंदी और व्यंजनों ख़िलाकर सिंजारा हेतु लाड़ लड़ाया जाता है।

तृतीया को सभी सुंदर वस्त्र,अलंकार धारण कर गणगोर पूजन, कहानी,नैवेद्य आरती करती है।

सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व है।

शादी के बाद उज्ववन कर गवर को धन्यबाद दिया जाता है।

अंतिम दिन नदी,कुआँ बाबड़ी में गणगोर का विसर्जन कर माना जाता है कि गवर को ससुराल विदा किया  है।

 सोलह दिन गणगोर के पूजन स्थल को पीहर माना जाता है।

राजस्थानियों द्वारा शोभायात्रा, गोठ आदि का आयोजन  बहुत ही धूमधाम से किया  जाता है।समाज के गणमान्य बन्धुओ द्वारा स्वागत,पूजा,आरती की जाती है।

 इस तरह रिश्तो में मिठास भरते इस सामाजिक पर्व द्वारा एकता भाईचारे के साथ प्रकृति से जुड़े रहने का सुलभ  संदेश दिया गया है।

इस बार यह उत्सव 8 अप्रैल को है

           शीला अशोक तापड़िया

                     नागपुर

9371493319

गणगोर

 वक्र तुण्ड महाकाय...............कार्येशु सर्वदा।पधारे हुए स भी smmaniy  स्वजन,अतिथिगण 

आप सभी का हमारे इस जातीय पर्व गणगोर उत्सव में स्वागत है,बधाई है।

आने वाले शुभ, नवसंवत्सर की अनेक शुभकामनाएं देते है

*नव उमंगो के दीप जले

उत्साह रूपी सुमन खिले

उल्लास हर मन मे जगाने गणगोर उत्सव आगया*


परम्पराओ का अनुसरण करने

सुसंस्कारो को नमन करने

आपस मे प्रेम के फूल खिलने गणगोर उत्सव  आ गया।


जी हां ये उत्सव ही तो है जो हमारी नीरस होती जिंदगी में

रस और रंगों का संचार कर जीवन मे खुशियो का वातावरण निर्मित करदेते है।

गणगोर उत्सव में हम हमारी संस्कृति ,हमारी धरोहर को बचाकर रखने वाले गीतों को संजोए रखते है। हमारी हर पूजन विधि के साथ जुड़े ,मधुर रस घोलते हुए ,

इन गीतों में जंहा रिश्तो का महत्व बताया गया है ,तो जल नदी ,दूर्वा ,कुआँ, बाबड़ी, तालाब  ,ज्वारे,आदि का वर्णन कर प्रकृति से जुड़े रहने का संकल्प है।

वस्त्र,आभूषण,मेहंदी टीकी,सोलह श्रंगार  का जिक्र,  पारंपरिक वेशभूषा का महत्व दर्शाता है।


राजस्थान के शहरों का उल्लेख कर अपनी माटी से जुड़े रहने का संकेत दिया गया है।

बिना किसी पंडित के सम्पन्न होने वाली यह पूजा  ,देश-विदेश  में कही भी रहने वाला हर राजस्थानी धूमधाम से करता है 

 दांपत्य प्रेम के उच्च आदर्शो की शिक्षा  देने वाले ईशर -गवर को हम नमन करते है ।


*कन्या पावे सुयोग्य वर

सुहागन पावे सुहाग अमर

वरदान यही देने 

पधारो म्हारा ईशर गवर

पधारो म्हारा ईशर गवर*


आज के इस कार्यक्रम के शुभारम्भ में हम ईशर गवर  का पूजन करेंगे।

पूजन हेतु आमन्त्रित करना चाहेंगे

सलाहकार समिति अध्यक्ष- गिरधारी लालजी सिंघी

पंचायत अध्यक्ष-प्रमोद बागड़ी जी

सचिव-अजय जी मल्ल

महिला समिति अध्यक्ष-वन्दना जी मूंधड़ा

युवा समिति अध्यक्ष.......☺️

एवम पधारे हुए प्रमुख अथिति द्वय खामगांव से पधारे 

श्रीमती रूपल जी मोहता

श्री विवेक जी मोहता

एवम  जैसा की बीकानेरी पंचायत  की खूबसूरत परम्परा रही है नवविवाहित दम्पतयो द्वारा ईशर गणगोर का पूजन कराया जाता है

आप सभी से अनुरोध है इस कार्य हेतु मंच पर पधारे।

पूजन के साथ वन्दन भी होतो पूजा की रौनक और बढ़ जाती है

पूजा में सम्पूर्णता आजाती है

।इस हेतु  बुलाना चाहेंगे लाहोटी सिस्टर्स 

आरुषि

आरोही कृपया पधारे एवम अपने सुमधुर कंठो से महेश वन्दना को स्वर देवे

**************


अब हम उन  लम्हो का आनंद लेना चाहेंगे 

जिसके लिए उन दम्पति को आमंत्रित किया है  जो आज माहेष्वरी समाज मे चर्चित है।


बदलते परिवेश में आज उन्होंने जिस  फील्ड में समाज का नाम उचाईयो तक पहुचाया है

कल तक मानो वो सपना था।


उस महान हस्ती के परिचय के लिए मैं बुलाना चाहूंगी...............

***((*************

एक औपचारिकता होती है प्रमुख अतिथि  को  मार्गदर्शन, पथप्रदर्शन के लिए आग्रह करना पर आज ये औपचारिक ता नही सबके दिल की आवाज है।तो हमारे प्रमुख अतिथि  से सविनय अनुरोध है कि आपको अपनी मंजिल तक पहुँचने वाली राह की जानकारी दभी से शेयर करे।

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आज गणगोर के इस कार्यक्रम हेतु जो विशेष रंगारंग प्रस्तुति रखी गई है वो राजस्थान की आन-बान-और शान लिए हुए है।

 

इस कार्यक्रम के लिए बस इतना ही कहना  चाहूंगी

अभिनय है,प्रस्तुति है गाथा है परम्पराओ की

संजीदा रोशनी है जिसमे किरण और कल्पनाओकी ।

सदन से अनुरोध है  की कार्यक्रम का आगाज  करतलध्वनि की शहनाई से करे

।*******************

इस शानदार,जानदार,प्रेरणादायक प्रस्तुति जिसमे अभी भी लोग सम्मोहित है सभी को इस सम्मोहन से निकलने पुनः एक बार करतल ध्वनि को ध्वनित करे

************((

चलिए हम उस औपचारिकता या हमारी सद इच्छा की और  बढ़े जिसमे हम  सभी कलाकारों को सम्मानित करने चाहते है।इसके लिए आमंत्रित है हमारे मंचासिन सभी हस्तियों को श्री मान.....

.........…....................

"किरण कल्पना साकार कर देती हमारे सारे सपने

हमारी भाबनाओ में यू रंग भरती जैसे उनके हो अपने"

लगन, मेहनत,अपनापन उनका हर समय यो बोलता रहा 

मानो संतान विवाह में मातपिता का मन उत्सव के रंग घोलता रहा

*******************।आगे धन्यबाद के लिए श्रीमान सुधीर जी बाहेती

।******************

60 th

 श्री

जन्मदिन पर हम सब आपको दिल से बधाइयां देते है

षष्टिपूर्ति के इस अवसर का अभिनंदन हम करते है


हजारो फूल बहार बनकर खुशियों का चमन महकाएं

 उमंग संग मुस्कुराहट ,हर नव प्रभात चहकाये।


बहु,पत्नी,माँ, भाभी बन अपनो पर प्यार अनमोल बाँटा है हरदम

नानी बन स्वर्ग सा सुख पाती, आल्हादित है तन-मन


अंताक्षरी क्वीन बनकर हर आयोजन में रंग भर देती हो

क्या कहे सहज अपनेपन से दिलो में छा जाती हो


जल्दी उठना जल्दी सोना प्यारा सा शगल है

स्वस्थ रहने का मूलमन्त्र मानती, कहती बड़ा सरल है


जीवन राह पर मनचाही मुरादें हो आपकी सभी पूरी

शुभकामनाएं, बधाई, अभिलाषा है आपको हमारी 

🌹🌹🌹🌹🌹

गहने अपने अपने

 *गहने अपने अपने*

नीलू, चल आज मूवी चलते है।


नही मीनू मै आज नही जा पाऊंगी,आज मॉम  के साथ ज्वेलरी  शॉपिंग के लिये जाना  है।


नीलू तुम कई  बार मना कर  देती हो,वेसे  तुम इतने  गहने लेती क्यो हो।


बस खुद को और दूसरो को खुश रखने ।उनके साथ जाकर मै भी सब  सीख रही।

पर इतना हर बार केसे खरीद पाती  हो?

कुछ नही मॉम  कहती जहाँ चाह  वहाँ  राह।


परत तुमने दिखाया  नही कभी।


अरे ये दिखाने वाले नही,फील गुड करने वाले गहने है।


मतलब

मतलब ये की  माना सोने  के गहनो का अपना आकर्षण  है,पर जब हमारे  जेसे मध्यम वर्ग  के लोग उनके आकर्षण मे बंधते है तो,जीवन की छोटी छोटी खुशियो से वंचित रह जाते है। कई  शौक के लिये मन मार  कर  राह जाते है।

पर हम उन्ही पेसो  से जिंदगी जी लेते है,अपनी पसंद की चीजे,अच्छी सी किताब, कपडे,कॉफी मग सुन्दर सा छोटी मोटी  ज्वेलरी  या दादी के  लिये साडी  दादू के कोई पसंद की चीज,या कही घूमने चले जाते है।

एसी कई  खुशियो का आनंद ले पाते है।मॉम कहती है ये गहने रोज मे आपके मुस्कुराहट को सुन्दरता प्रदान करते है।

खिड़कियों

 *खिड़किया*

चारु-   अभी इस लॉक डाउन के कारन,मन अकेले रहते मा पिताजी के लिये बेचेन हो रहा है।

तुम बताओ मै क्या करु।

चमन-तुम्हारी बेचेनी जायज है,पर अभी सुरक्षा  की दृस्टी से मै

 तुम्हे जाने बोल नही सकता।

चिंता मत करो,अमन और नमन तुम्हारे दोनो भाई ,उसी बिल्डिंग मे है,

एसे समय मे मन मुटाव छोडकर सम्भाल  ही लिया होगा उन्होने।

नही तो तुम

एक काम क्यो नही करती,तुम सारी खिड़किया  खोल दो।

मै समझी नही,दूर बेठे,मेरे यंहा खिड़किया खोलने से क्या होगा।

तनिक चिढते हुए चारु ने कँहा।

अरे मै उन वॉट्सएप्प  की खिड़कियो की बात कर  रहा हू, 

जो तुम अलग अलग खोल कर सबसे बात करती हो,

आज सबको एक साथ खोल दो

चमन ने मुस्कुराते हुए कहा

तुम दोनो भाईयो और मम्मी पापा  को विडियो ग्रुप कालीन्ग करो,

आमने सामने आकर वो इन छोटे मोटे मन मुटाव को भूल कर  सहज हो जायेंगे।

कुछ सोचते हुए चारु ने कहा,

हाँ  तुम सही कह रहे एक कोशिश तो बनती  है।

चमन और चारु की कोशिश रंग लाई

सब के बीच घुल मिल कर बात  हूइ ,किसी ने भी अहं को आड़े नही लिया

सच मे व्हाटसएप की इन खुली खिड़कियो  से आया झोका, सभी को सुखद  सुकून दे गया

   शीला अशोक तापडिया

महेश नवमी

 मनोगत 

जय श्री कृष्ण

26 जनवरी 15 अगस्त की 

भांति साल में 1 दिन हम 

माहेश्वरीयों का महेश नवमी

 पर्व आता है।

आज ही हम भगवान महेश 

 माता पार्वती की कृपा से

 ऋषियों के श्राप से मुक्त होकर 

माहेश्वरी कहलाये।

दिन भर बधाइ शुभकामनाएं

 देने में बीत जाता है।

 राष्ट्र सुधार की तरह 

समाज सुधार पर चर्चा

 आम होती है।

बात परिधान और गीतों में 

सिमट कर रह जाती है।

आम जनता  रैली निकालने सांस्कृतिक प्रोग्राम  में

 शामिल हो खुश हो जाती है।

आयोजको और प्रयाजको के

 कार्यो में वृद्धि हो जाती है।

 जय देश और जय महेश के नारों

पब्लिक साथ देती है।

मनोरंजन  इन कार्यक्रमो में

 खोज ही लेती है।

प्रधान मंत्री और समाज मंत्री की खिंचाई भी कर लेती है।

फोटो सेल्फियों का चलन

 मन को खूब भाता है।

सोशल मीडिया भी सभी के

 गुण जम के गाता है।

देश बन्धु समाज बंधु

 अब कुछ जाग जाओ ।

 कुछ योगदान दे ऋण 

देश और समाज का चुकाओ।

एकजुटता दूर कर देगी 

बुराइयों को समझो मिलो

 कदम बढ़ाओ।

देश, समाज से पहचान हमारी

इसको ना भुलाओ।

 हित मे इनके कुछ समय  लगाओ।

तरक्की और भाईचारे के अनेक

 रास्ते खुल जाएंगे ।

सेवा  त्याग और सदाचार की बात जब  व्यवहार में लाएंगे ।

        शीला अशोक तापड़िया

               नागपुर

           19 जून 2021

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

मेरे बाबूजी

 बचपन है जो पचपन में फिरसे जीने का मन करता है

जिम्मेदारियो क् बोझ कम होजाता है

और लौटने का मन करता है

उन्ही गलियों चोबरो में

जँहा खेल खेलते ,रोज ही देर हो जाया करती थी

बस एक बार और के चक्कर मे

सावन के वो झूले जो बाबूजी रस्सी से बंधवा दिया करते थे

छोरियों लो झूलो झूल लेवो।

बड़ी तीज पर 16 झूलकर ही पानी पिया करते थे।सिंजारे के लिए रसगुल्ला लाना और हमारे मेहंदी लगे हाथ होने के कारण ,उनका अपने हाथ से खिलाना,बिना नागा हर सिंजारे में

दूसरे दिन मेहंदी का सुंदर लाल देखने के लिए दादी माँ भी कितनी उत्सुक रहती थी। मम्मी की खुशी देखते बनती थी जब हम बहने तैयार होकर आती थी

प्रार्थना

 प्रार्थना 

पग पग  हो ज्योतिर्मय जीवन

चिर मंगल हो,हो चिर नूतन 

प्रभू हम सबका ज्ञान बढाए

निर्मल हो जाये सबका  तन मन


ऋषी मुनियो की तपो भुमि य्ह

उतम  धाम,है ज्ञान धरा का

सकल पल्लवित पल पल होवे

नव उमंग और नव सर्जन का

प्रभू हम सबको पाठ  पढाए 

जड़ भी हो जाये नव  चेतन

पग पग

आसमां से उपर सागर से गहरा 

सब से रहे प्रभू हमारा नाता

संस्कारो के बीज लगाये हम

सेवा सदाचार सदेव हो भाता

प्रभू की अम्रत वाणी  सुने हम

सुमन से सुमन करे हम अर्पण

पग पग

अति उज्ज्वल अति गौरवशाली 

ये वेदिक ज्ञान विज्ञान हमारा

बढे चले लिये लक्ष्य विकास  का

मेहनत से हम व्यक्तित्व निखारे 

आऔ मिलकर प्रण  ये लेवे

हर मन मे महकायेंगे मधु वन

पग पग हो ज्योतिर्मय जीवन

हो चिर मंगल हो चिर नूतन

हाइकू

 [14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: वर्ण पिरामिड


जो[14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: आंखों मे बसे

सपने रंग बिरंगे

जी भर जीले


रे मन जाग

सबेरे की आस मे

रात तू सोया

अलसाई है भोर 

कर रही विभोर


देखती आंखें

अवचेतन मन

दिखाता ख्वाव

सपनों की दुनिया

निराली अनुपम


स्वप्न संसार

कर रहा अपार

मिथ व्यापार

उठ प्रपंच तोड

अब चेतन होजा


खुले नयन

ये विस्मृत सपन

 भोर सुहानी 


नींद ले उडे

जब ख्वाव तुम्हारे

पूरे कर लो

[14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: हाईकु


कलश भर 

तारे लुढका गई

आज चांदनी


अबंर धरा

कभी भी न मिलते

साथ चलते


खुले नयन

ये विस्मृत सपन

भोर सुहानी


नींद ले उडे

जब ख्वाव तुम्हारे

पूरे कर लो


नीर नदी का

कल-कल बहता

पावन बन


जीवन पथ

चलाते चलो तुम

अपना रथ


तांकां


देखती आंखें

अवचेतन मन

दिखाता ख्वाव

सपनों की दुनिया

निरालीअनुपम


स्वप्न संसार

कर रहा अपार

मिथ व्यापार

उठ प्रपंच तोड

अब चेतन होजा

करे

मनन

व चिंतन

तथागत सा

पाते  सदज्ञान

सत्य वचन जान 

होगा जगत कल्याण

[14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: चोका


दशावतार

जनहितकारक 

देवकी सुत

कारागार जनमे 

गहरा तम

वसुदेव गमन

प्रहरी सोयें

खुल गई  जंजीर

बरसे नीर

यमुना बीच चले

गोकुल धरा

छोड आये ललना

रुदन भारी 

जाग उठी यशोदा

नंद बुलाये

खुशी अपनी बतायें 

ललन जायें

नंदोत्सव मनायें

मनमोहना

मन को अति भायें

जग हर्षायें

बलराम अनुज 

घोष लगायें

हाथी घोडा पालकी

जै  कन्हैया लाल की

🙏🙏🙏🙏

गुनगुनाती शाम

 गुनगुनाती  शाम 

मुस्कूराकर नया 

तराना दे गई

डूबते हुये दिलो को 

पैगाम एक दे गई

आई है शाम तो 

सुबह भी आयेगी

जिन्दगी मे धूप छांव

 योही आयेगी जायेगी

तन्हा ही रह काफिला 

तू अपना मत बना ले

मंजिल मिल जायेगी

 समय ये गुजार  ले

भूमिका

 भूमिका


जीवन यूँ  ही बीत रहा था

खाली खाली रीत रहा था

बचपन की जब आती याद

मन करता मुझे फरियाद

कुछ करने  की रहती धुन

सपने  भी करते  गुन गुन

लिखने के कुछ मौके आयें

अन्धों मे काना राजा कहायें

प्रोत्साहन से बन गईं बात

खूब लिखे लोगों के जजबात 

वाटसप का जमाना आया

ज्ञान लोगो ने घर में ही पाया

कलम से बन गई  कुछ दूरी

घुमक्कड़ बनना भी मजबूरी

प्रेरणा अगर मिल  जाती हैं

रुकी  कलम  चल जाती हैं

हिन्दी प्रेम मेरा जग जाहिर

भलें ना हो मैं इसमे  माहिर

मंच कलम-साधना का मिला हैं

 सपनो  को जैसे  बल मिला हैं

व्यास जी

 *छोटी सी बड़ी बात*

जीवन सिर्फ अपना जीवन जीना ही नही होता

अपने आसपास के लोगो  को सुखद अहसास प्रदान करे

इसमे ही

जीने की सार्थकता है*

नागपुर से 55-60 किलोमीटर दूर हमारा गांव है काटोल

हम वँहा जाते रहते पर सुबह जाते शाम को आजाते।

पर इस बार हम वँहा 8-10 दिन रुके,हमने देखा

सुबह सुबह घर के सामने हमारे परिचित *श्री अरुणजी व्यास* उम्र 70 + जिनके एक हाथ मे प्लास्टिक की बाल्टी और दूसरे हाथ मे प्लास्टिक का ही धामा याने घमेला था,और वो  हर घर के सामने उस घर की बहू या बेटी को आवाज लगाते थे। और पूर्वनियत प्रोग्राम सा वो आती ,रात का बचा खाना ,रोटी ,घमेला में और दाल सब्जी हो तो बाल्टी में डाल देती 


और वे बड़े स्नेह से उनके खेत से लाये बेल पत्ती,दुर्बा और फूल  के साथ बहुत से आशीर्बाद दे रहे थे ।प्राप्त खाद्य सामग्री को लेजाकर वँहा की गोशाला में बड़ी तन्मयता से दे रहे थे।

मैं सोच रही थी जितना छोटा ये काम लगता उतना है नही एक सम्रद्ध  व्यक्ति का सुबह सुबह हर घर से बचा खाना मांगना और उसे सही जगह पहुँचना

गायों का तो भला था ही बचा खाना भी अर्थ लग रहा था।

साथ ही चाहते  हुए भी जो महिला प्रतिदिन गाय को रोटी नही दे पाती उन्हें वे अपराध भाव से मुक्ति दिला रहे थे ।गायों को रोटी देना हमारी भारतीय परंपरा का हिस्सा रही है

वँहा उनके द्वारा और भी अनेक जनउपयोगी कार्य किये जाते है

इस स्तुत्य और प्रेरणादायक कार्य के लिए उन्हें नमन🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐शीला अशोक तापडिया

नागपुर

9371493319

सावन

 नभ में छाईं चारो तरफ

देखो नीर भरी बदली है

धरा ने ओढ़ी  एक बार

फिर धानी सी चुनर है।


बादल गरजे बिजली चमके,

उमड़ घुमड़ है मेघा बरसे,

ठहर ठहर मन जाए डर से

नन्ही बून्द पड़े जब सरसे।

महक उठी धरती सारी

माटी की भीनी गन्ध से

बारिश में तन तो भीगा

भीगा मन पिया के संग से।


हरा भरा हरियाला सावन

रंग बिरंगा रंगीला सावन

तीज त्यौहार ऋत मिलन की

आया सखी मन भावन सावन

शीतल मंद पवन चली है

सुगन्धित चली बयार

कुंहु कुंहु बोले कोयलिया

बरसी प्रेम रस फुहार

हाइकू

 [14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: बादल संग

गुनगुनाती शाम 

बरस गई


कलम चली

लिख गई कहानी

अनकही सी


उसने लिखी

प्यार की इबारत

बिखरे मोती


लुभाता रहा

 बरसता सावन

मन सरसा


अथक श्रम

मंजिल दूर नही

कहता मन


उषा किरण

लिख रही पैगाम

सुर्य के नाम


धरा की प्यास

उजडे उपवन

मेघो की आस


पडेंगें झूले

सावन को आने दो

मुदित मन


शीतल छाया

वृक्ष हमकों देते

मोल न लेते


अमृत धारा

स्नेह अनवरत

मधुर बोल

 इठलाकर

बरखा संग बूंदे

झूमती फिरि


किलककर

मेघराज झूमते

है मनमौजी


हुलसकर

बादल गरजते

हवलदार


फिसलकर

बून्द शबनम की

मोती लगती


बिखरकर 

सतरंग छटाएं

बेलबूटों से


बरसकर

ये बाबरे बदरा

नशा उतारे

धानी चुनर 

वसुधा पहनकर

मिली मेघ से

पागल हवा

गोरी की चुनर को

चूमती फिरे

धूसर रंग

आसमां चारपाई

मेघ बिछोना

ताँका

 बरसा प्यार 

अम्बर धरती का

जा गले मिले

भूल बैर पुराने

ये दो दोस्त दीवाने


सरसराती

हवा चली झूम के

रुक दीवानी

कर ना मनमानी

राह ये अनजानी


हरे बिछौने

लगे गुदगुदाने

धरा ने ओढ़े

पत्थर ना कंकड़

ना झाड़ ना झंकड


धूसर रंग

आसमां चारपाई

श्याम बिछोना

नरम नरम सी

मेघो ने बिछलाई

हौसले

 मन मेरे कर दिखलाओ

 कोशिश कुछ पा जाने की 

  मन चाहा सबको नही मिलता

    राह कठिन मगर नही मुश्किल

      मंजिल अपनी खुद पा जाने की


 हौसले तुम खुद के बढ़ाओ

  रहो ना निर्भर ओरो पर तुम

   कर बुलन्द मन की ताकत को

    अपना सहारा स्वयं आप बनो तुम


 जीवन के इस कैनवास पर

  भर लो रंग  मन मर्जी के तुम

    जियो ओरो को भी जीने देना

      मत भरना रंग खुद गर्जी के तुम

             शीला अशोक तापड़िया

शीला तापड़िया

 जय श्री कृष्णा के संग

अभिवादन सभी का करती हूँ 

शीला तापडिया नाम  है

अनुभव 63 वर्षो का  रखती हूँ 


संतरा नगरी नागपुर कर्म स्थली 

लेखन मे  रुचि   रखती हूँ 

नाटक कविता लघुकथा हाईकु

हर विधा  मे कलम चलाती हूँ 


राजस्थानी बीकानेरी महिला मंडल

 की अध्यक्षता से पहचान 

सामजिक बनाई है

रोटरी जेसिस ने भी कुछ करने की ललक जगाई है


हरदम सपोर्ट जिनका पाती 

बिन इनके आगे नही बढ़ पाती 

पति और बच्चों को

 धन्यबाद दिल से करती हूँ 


माँ ,सासु माँ  दोनो

आदर्श मेरी

जीवन जीने की कला सिखाई

उनके पद चिन्हो मे चलकर

 नमन उन्हें मै करती हूँ ।


मेरे देश की दर्शनीय विरासत

ख्वाबो मे  निहारा करती हूँ 

अवसर मिले तो घूम आऊँ भारत 

हसरत  पालती रहती  हूँ 


पढना मेरा शौक लिखना मेरी हॉबी है

सीखने की कोई उम्र नही होती

यह बात,भरती मुझ मे चाबी है।

सालगिरह शादी की

 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂

शुभ घड़ी शुभ बेला आई

शादी की साल गिरह की बधाई

🌹🎂🌹🎂🌹🎂🌹

चलो प्यार की बात करें,

चलो आज मुलाकात करें, 

 साल गिरह शादी की आई 

🌹🎂🌹🎂🌹🎂🌹

एक दूजे को प्यार के रंग लगाएं

खुशियां हम तुम संग मनाएं,

 सालगिरह शादी की आई

🎂🌹🎂🌹🎂🌹🎂

तुम और मैं हम हो जाएं, 

हाथ पकड़कर झूमे गाये

सालगिरह शादी की आई

🎂🌹🎂🌹🎂🌹🎂

प्यार से हम गले लग जाएं

संग संग ये त्योहार मनाएं

 सालगिरह शादी की आई 

🎂🌹🎂🌹🎂🌹🎂

एक दूजे से नजर मिलाये

आँखों आँखों मे कुछ कह जाए

सालगिरह शादी की आई

🌹🎂🌹🎂🌹🎂🌹

मनाये सालो साल ये शुभदिन

अपनी रात हो ,हो अपना दिन

चलो हम तुम दोनों गुनगुनाये

सालगिरह शादी की आई

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂

नारी दिवस उपहार

 मन्नू जी नाराज सुबह से

 मन्नी जी हैरान परेशान 

चाय बना कर ले आई

संग लाई ढेरों पकवान


सज धज कर खूब रिझाया

ना रीझे पतिदेव हुई हैरान

कुछ तो बोलो मिया जी मेरे

रूठ कर मत लो मेरी जान


क्या हुई तकरार किसी से

या बिगड़ा है कोई काम

फिर मन्नूजी ने बात बताई

 सुनो मन्नी खोल कर कान

किया धरा सब ये है तुम्हारा

फुसला कर मत बनो महान


टेडी वियर दिवस था तुमने

दिया टेडी खूबसूरत सुहाना

चॉकलेट डे पर भी तुम लाई

स्वाद के उसके क्या कहना


रोज़ डे पर लाई रोज कितने

गिनती का नही ठिकाना

हग डे पर तुम गले मिली

बनाया नही कोई बहाना


सिलसिला तुमने ये जाने

क्यो बेदर्दी से तोड़ दिया

वुमनस डे पर कोई वुमन

उपहार में नही देकर तुमने

कर दिया मुझको बेगाना

कर दिया मुझको बेगाना

रंग बिरंग

 यारो ट्रेंड ऐसा कुछ

 आजकलआया है

रंगों में रंग जाने को

नया फैशन बनाया है

चहक कर फिर उसे

कलर मैचिंग कांसेप्ट बताया है


भारत भ्रमण का बनाया

 हम दोनो का प्रोग्राम

पिंक सिटी में पिंक पहन

बढ़ाली अपनी ही शान


हरियाणा पहुँचे तो देख 

हम हुए  फिर और हैरान

हरी साड़ी में श्रीमति जी

बिखेर रही मोहक मुस्कान


पीलीभीत पहुंची हमारी सवारी

नगर भ्रमण की हुई तैयारी

पीले सूट में उनकी अदाएं

गजब की लग रही थी प्यारी


खुश नही रहे हम बहुत देर

दिमाग हमारा अब बौराया

बहुत सोच विचार कर हमने

 नागालेंड का टिकिट लौटाया

तरबूज

 तरबूज वाले ने लगा कर  दुकान

आवाज लगाई आइये मेहरबान

ताजे ताजे मीठा लाल फल है ये

ले जाइए ले जाइए बाबू कदरदान


बातो ने उसके रंग जमाया 

हमने भी ताजे मीठे लाल

तरबूज खरीदने का मन बनाया

 उसकी मुस्कान को बढ़ाया


बात अभी सौदे पर ही अटकी थी

नजर एक अजनबी पर जा टिकी थी

तरबूज लौटने वो आया था

लाल नही सफेद फीका फल बताया था

हैरान  हम देख रहे थे नजारा

दुकान वाले का क्या होगा

कविता अपनी अपनी

 श्री

 कविता अपनी अपनी


पर्यावरण जब शुद्ध हो जाता 

है प्रकृति पा लेती कविता


बून्द बून्द अमृत बन टपका पानी

सूखी धरती  की बन जाता कविता


भीषण गर्मी  पथिक हो प्यासा

मिली पानी की हर बून्द कविता


भूख प्यास  विचलित करती जब

बन जाता रोटी का हर कोर कविता


अपनो से दूरी मिलन की आस अधूरी

दो मीठे बोल उनके बन जाते कविता

निमंत्रण

 वंदना

पहिले फरमिलिटी वाला जनरल स्वागत आये अतिथि और का

फिर ये

मेने कोशिश की जैसा समझा क्योकि मेरी इंग्लिश थोड़ी गरीब है😜

श्री बीकानेरी माहेश्वरी महिला समिति हमारा है ऑर्गनाइजेशन

होली के रंग रसिया के संग कार्यक्रम का है सेलिब्रेशन

आप सभी पधारी सखियों को है सेलूटशन

स्वागत  आप सभी का आप सभी है हमारे आज के अट्रेक्शन

स्वागत में आपके करबद्ध है हमारी पोजिशन

खूबसूरत है आपके हमारे प्यार भरे रिलेशन

हम आपके नजदीक ही है हमारी यही इमेजिनेशन

होली प्रोग्राम का हम सभी को है अट्रेक्शन

महेश भवन में करे ठीक नही सिचुएशन

महिला समिति की सभी महिलाएं है बहुत एम्बीशन

सभी ने तय किया दूरदर्शी ये आप्शन

और सुंदर से निकला ये ज़ूम भवन का सोल्यूशन


जूम भवन में एकत्र

नया ज्ञान ईशर गवर का

 श्री

11 अप्रैल महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती,19 वी सदी के प्रारम्भ में ,स्त्री शिक्षा के लिए उन्होंने बहुत जोर दिया एवम अनेक प्रयत्न किये।बहुत बड़े समाज सुधारक रहे है।

उनकी विचारो को आदरांजलि देते हुए।

नाटिका

आज का अक्षर ज्ञान


कैलाश पर्वत शिव पार्वती/गणगोर ईशर का निवास स्थान

गोरा हाथ मे लेपटॉप लिए कुछ उलझन में नजर आ रही हैरान परेशान सी

ईशर जी

क्या बात गोरा जी आप इतनी परेशान नजर आ रही है,सब ठीक ना,तुम्हारे मन मे क्या विचार चल रहे है।या तुम्हे कही जाना है।

गोरा

है प्रभु मैं पुनः जन्म लेकर पृथ्वी लोक में कुछ समय रहना चाहती हु।

ईशर

ऐसा क्या है जो यँहा  उपलब्ध नही

गोरा

 प्रभु शिक्षा मैं लिखना पढ़ना चाहती हु अपने विचारों को शब्दों में ढालना चाहती हु।

ईशर

गोरा तुम्हे क्या जरूरत अनं पड़ी तुम बोलो वही लिखित हो जाएगा

गोरा

नही प्रभु स्वयम के द्वारा लिखना,पढ़ना अत्यंत सुखद अनुभूति देता है।और मैं उस अनुभूति का अनुभव करना चाहती हु।

पाती राम सखा को

 मेरे भगवान

 मेरे सखा राम 

           नमस्कार

अपनी कुशलता के साथ तुम्हारी कुशलता की मंगल कामना करते है।कामना इसलिए की ,कि सीता अब अयोध्या में नही तो, तुम्हारा ध्यान एक पत्नी एक सखा की भांति कौन रखता होगा। अर्धांगनी  अनकही बातों को भी समझ निस्वार्थ भाव से पति का साथ निभाती मार्गदर्शक भी बन जाती  है।

 राम राज्य में सुशासन रहे,की चिंता , सीता के वियोग का दुख भी आत्मसात नही करने देती होगी।

प्यारे सखा कही तुम्हारे मन मे आत्म ग्लानि के भाव तो नही आ जाते

मर्यादा पुरुषोत्तम राम होने के बाद भी तुम मानव होने के सारे धर्म  अत्यंत कुशलता से निभा रहे हो।

मित्र जब मन कभी पीड़ा से भर जाय, उसे हल्का करना हो तो अपने इस मित्र को याद कर लेना।


सम्पन्नता दे दूँ कृष्ण नही

रण में शौर्य दे दूँ कर्ण नही

छोटा सा सखा हूँ तुम्हारा

जानता दोस्ती का मर्म यही

        आपसे सखा भाव की अपेक्षा में 

       आपकी एक नगण्य सखी

🙏🙏ममता तापड़िया🙏🙏

पाती राम जी के नाम

 *मेरे प्रभु श्री राम*

🙏🙏🌹🌹🙏🙏

        भक्त का कोटि कोटि वंदन 

दुर्लभ मानव तन प्रदान कर इस सुंदर सृष्टि में हमे जन्म प्रदान करने हेतु प्रभु बारम्बार नमन है।

आपको  पाती लिखने का अप्राप्य अवसर प्राप्त हुआ तो मन की सारी बात आपको लिख रही हूं।


हे परमपिता परमेश्वर कहते है आपकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नही हिलता,तो प्रभु ये कोरोना ,प्रलय के आने का पूर्व संकेत तो नही।

हे कृपासागर मुझे आप पर पूरा भरोसा है,आप ही हमारी नैया के खेवनहार है।

*जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये*

इन पंक्तियों पर मेरा भरोसा है, ये भरोसा ही जीवन मे कई बार सम्बल प्रदान करता है।


मेरी अरदास है कि अंत समय मे प्रभु आपका ध्यान बना रहे। परोपकार की भावना मेरे मन मे हरदम बनी रहे।

हाँ भगवन मेरे द्वारा किसी का दिल दुखाने का पाप नही होने पाए।

मेरा मानस 

सिया राम मय सब जग जानी

 करहु प्रणाम जोरी जुग पाणी 

का बना रहे प्रभु।

इसी विश्वास के साथ आपकी भक्त  

         ममता तापड़िया

🙏🙏🙏🌹🌹🌹🙏🙏🙏

सूरी

 लाडली सूरी

खुश रहो

देख तुम्हारी चंचलता

मन चहकने लगता है

डगमग जब चलती हो

मन डगमगाने लगता है


नन्हे नन्हें हाथ पांवो को

गाने की धुन में थिरकाती हो

बाहों में ले तुम्हें जी भर 

नाचने का दिल करता है


चलना मुस्कुराना  तुम्हारा

हर अदा पर  बलिहारी है

जल्दी से तुम मिल जाओ

 खूब आती याद तुम्हारी है


प्यार दुलार आशीष तुम्हे है

तुम हो हमारे दिल का गहना

खुश रहो,सदा खिलखिलाते रहना

मेरी प्यारी गुड़िया तुमसे है कहना

मां मेरी मां

 श्री

जय श्री कृष्ण

मां का मां होना भी एक खूबी है

मां तो होती हीरा पन्ना मोती रूबी है

हम जब छोटे थे तब सुपर मोम जैसा शब्द नही जानते थे।

जानते थे मेरी मां सर्वोत्तम मां

जो वो थी।

उनका आचरण हमारे व्यवहार में उतरेगा ,इसके लिए वे सतत सजग रहती थी।

उनके नसीहतों के व्याकरण ने हमारी जीवन भाषा संवारी।

उनके मीठे बोल ह्रदय में प्यार की मिठास भर दिया करते थे।

उनके दिन महीनों वर्ष  की नियमावली

अब हमारा निबन्ध होगया है।

मेरी मां कहती थी,मतलब मेरी नानी कहती कि लाइन के साथ हमेबड़ी रोचकता के साथ ज्ञान पिला दिया करती थी।

रीत रिवाज ,गीत हो या बड़ी पापड़ जैसे कार्यक्रमो में मेरी निपुण मां पासपड़ोस में (जब पास पड़ोस हुआ करते थे )बड़े उत्साह से जाया करती थी।

पुराने कपड़े भी किसी को देना तो दुरुस्त करके देती थी।

काम बाली की बेटियों को भाइयो को राखी बंधवा कर उपहार दिलवाने मे उनको बहुत खुशी मिलती थी।।

समय और धन को संभालने का गजब मैनेजमेंट था।

एक को सवा दिखाने में अत्यंत माहिर थी।

लोगो से प्रेम से मिलने का उनका उत्साह अंत तक कायम रहा।

आज 64 वर्ष की उम्र में भी उनकी बेटी कहलाने का गर्व महसूस करते है।

   तुम्ही गुरु तुम्ही सखी

   तुम्ही बन कर बहना

   मां तुम ही पहनती रही

   अनुशासन का गहना

दीनबंधु से प्रार्थना

 *प्रार्थना दीनबंधु से*

संकट आन पडा  है भारी 

टेर  सुनो दीनानाथ  हमारी

आया करोना भीषण दुश्मन

ठहर गई है ये दुनिया सारी।


आओ  प्रभू आओ आओ

दीनदुखियों  की लाज बचाओ

ठाकुर तुम नही देर लगाओ

भू पर सब का दुख हटाओ

हो प्रभू तुम गिरवर धारी

संकट आन पडा  है  भारी ।


 वायरस ले रहा जान  अनेको

दुनिया  के हर कोने मे पहुंचा

कैसी विकट विवसता आई

कँहा छिपे प्रभू तुम रघुराई 

सुन लो आर्तनाद  हमारी

संकट आन पडा  है भारी।


प्रलय बन ये करोना  आया

खतरा  बन मानव पर छाया

हरदम तुमने लाज  बचाई 

सुन लो भक्तो की ये दुहाई

सम्भालो अपनी जिम्मेदारी 

संकट आन पडा   है भारी ।


गलतियो  के हम है पुतले

कभी नही हम इन्सान सुधरे

बार बार दिये तुम  चेतावानी

करी  दी सबने  आना कानी 

हमारे करम हम पर पड़े भारी 

संकट आन पडा   है भारी ।


एक बार परमपिता तुम सुन लो

दीन दुखियो के सब दुख हर लो

फिर से ला दो जग मे खुशहाली

वादा है बदलेंगे करतूते काली

दानवी प्रकर्ति छोडेंगे  हम सारी

संकट आन पड़ा  है भारी

       शीला अशोक तापडिया

         नागपुर 

9371493319

चाय के दीवाने

 चाय के दो दीवाने हम 

मैं और मेरा प्यारे सनम

चुस्कियों के बीच कहते

हम किसी से नही कम



हर घड़ी हमे चाय लुभाती 

स्वाद से ये दीवाना बनाती

दूध में चाय चीनी मिलती

अदरख नई कहानी बुनती


चाय का प्याला कर देता

 नित दिन हमे तरोताजा

दिनचर्या में रहेगा शामिल

पेय पदार्थों का ये राजा



बनी रहे हमारी दोस्ती

महिला स्वास्थ्य स्वच्छता दिवस

 आविश्व महिला स्वास्थ एवं स्वच्छता दिवस



सखी ले लो शुभकामनाएं

स्वास्थ स्वच्छता दिवस आया है,

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 

नारियो  को जागरूक बनाया है।


 सोच हमारी न थी  विस्तृत

समय ही निकाल रहे थे हम,

 पांच दिनों की  घबराहट को

जाने क्यों झेल रहे थे हम।


सेनेटरी नेपकिन से सुरक्षित

समय के साथ चल रहे हम ,

माहवारी  कलंक नही होती

ना हीनभावना ना कोई गम।


सरकारी व निजी उपक्रमो ने

मुहिम सजगता की चलाई है,

 दुविधाओं का अंत किया 

मिशाल  अनुपम  बनाई है।


खुल के सारी बात हो रही

दूर हो रहे अब सारे मलाल

कब कँहा कौन क्यो कैसे

रखो न मन मे कोई सवाल


शरीर से अपने प्यार करे 

स्वच्छ रहे  स्वस्थ रहे सब

 चर्चा चेतना चिंतन करके

विषय को विस्तार दे अब


शीला अशोक तापड़िया

नागपुर 9371493319

गीता शिक्षा

 नव उमंगों के दीप जले

उत्साह रूपी कमल खिले

लेकर उमंगों की गागर हम

गीता ज्ञान अक्षरी भरने चले


साथ ही


कृष्ण मुख की वाणी का

उच्चारण अशुद्ध होने ना पाए

सम्भव हो तो परीक्षाएं उतीर्ण 

कर हम साधक कहलाये


सीढ़ी दर सीढ़ी हमको 

चढ़ना रास आरहा था

अक्षरो व शब्दों का जादू

जिज्ञासुओ को लुभा रहा था


स्वर,विसर्ग,मात्रा, हलन्त का

प्रभाव अगले शब्दो मे पड़ता है

ह्रस्व और दीर्घ अक्षर दोनो का

उच्चारण में असर पड़ता है


सुमधुर पुस्तिका का वाचन

सबको लालायित करता रहा

एकाग्रता से दीदी का पढ़ाना

सचमुच ह्रदय स्पर्शी रहा


तन्मयता से बिना किसी 

झुंझलाहट विद्या दीदी ने

हमे खूब पढ़ाया

मनोहर भैया ने भी अपना

 काम  बखूबी निभाया


प्रभु कृपा हुई गुरु से ज्ञान मिला

अगले स्तर पर प्रवेश का मन किया

गीता परिवार को व्यक्त आभार 

हम सभी ने बारम्बार किया।

कशमकश

 कश्मकश

मन मेरा भावनाएं मेरी

शब्द न खोज पाती हूँ

शब्द पा जाए अर्थ मेरे

बस इतना ही मैं चाहती हूँ


असमर्थ हूँ अपने भावो को

अपने मन की कश्मकश को

शब्दों के इस माया जाल से

क्या दे पाऊंगी पहचान  को


हर शब्द कमतर लगता है

बहुतेरी है भावनाएं मेरी

मन की इस अकुलाहट को

क्या कर पाऊंगी परिभाषित


    शीला तापड़िया

        नागपुर

पर्यावरण

 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस 

माहेश्वरी साहित्यकार मंच

जय महेश🙏🙏

नाम : शीला अशोक तापड़िया

तारीख : ५/६/21

विषय : पर्यावरण-पृथ्वी का श्रृंगार

विधा : काव्य

वृक्ष लगाओ धरा बचाओ

*ना करें अब हम मनमानी है*

🌳🌴🌳🌴🌳🌴

आती जाती सांसो की जो

हम सुन रहे  कहानी है

छेड़ छाड़ प्रकृति से करके

की हमने बहुत नादानी है

वृक्ष लगाओ धरा बचाओ

ना करे हम अब मनमानी है।

💧💦💧💦💧💦💧

जल ही जीवन कहते हम

सोच को दरकिनार किया

जल का सरंक्षण पेड़ो से

बात नही अनजानी है

वृक्ष लगाओ धरा बचाओ

ना करें हम अब मनमानी है।

🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃

बहती हवा हमे कुछ कहती

मुझ से ही सांसे तुम्हारी महती

धूल धुंआ का उड़ता गुबार

सोचो , न करो आनाकानी है

वृक्ष लगाओ धरा बचाओ

ना करें हम अब मनमानी है।

📱🎤📱🎤📱🎤📱

ध्वनि प्रदूषण  जो हम करते

शोर गुल की अति है करते

बहरापन जैसे विकार आते

कह गए बात ज्ञानी ध्यानी है

वृक्ष लगाओ धरा बचाओ

ना करे हम अब मनमानी है

🍀🌿🍀🌿🍀🌿🍀

एकमात्र है अब तो सहारा

जीवनदायी सारे वृक्षो का

आक्सीजन प्रचुर हमे  देते

कहते  पर्यावरण विज्ञानी  है

वृक्ष लगाओ धरा बचाओ

ना करे हम अब मनमानी है।

🖼️🖼️🖼️🖼️🖼️🖼️

#माहेश्वरी साहित्यकार मंच

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चूहे जी रिटायर हुए

 सुना है हमने

पढ़ा है हमने 

मिस्टर चूहे रिटायर हो गए

सालो की सर्विस के बाद

आराम के तलबगार हो गए।


खबर है कुछ नई नई सी

विचित्र है पर सही सही सी

इसके पहले जाना न था

इसके पहले माना न था।


चूहा एक मुसीबत है

ये ही सबका कहना था।

कभी कपड़े कभी अनाज

जो मिले बस कुतरना था


कौतूहल की बात सुनी

जान हजारो की बचाई

सूंघने की बिरली शक्ति

अद्भुत उसने ही थी पाई


बारूदी सुरंगों की जगह

सचमुच उसने बतलाई

आश्चर्य है पर ये सच है

खबर ये नेट से  हमने पाई


सात साल का है ये चूहा

मगावा उसका नाम है

कम्बोडिया  सरकार ने 

किया उसका सम्मान है।

          शीला तापड़िया

धरती माता

 मां तुझे प्रणाम


देती हमको सब कुछ 

माता ये हमारी है

सांसे चलती इनके दम

 इन पर बलिहारी है।


 पेड़ इसके छाया देते

हवा हुई सुखदायी है

प्यासा न रहे  कोई

पानी की धार बहाती है।


एक देते हजार देती है

अन्नपूर्णा हमारी  है

हम पर सब लुटाती

इसे बचाना जिम्मेदारी है।


आओ सब मिल करे जतन

नही तो आफत भारी है

बिजली पानी को व्यर्थ करे ना

हम पर मां का कर्जा भारी है।


संदेश सभी और फैलाये

हम ताकत इसकी बनजाये

देती हमको सब कुछ ये

माता ये कहलाती हमारी है।।

       शीला तापाडिया

महेश नवमी

 महेश नवमी पर्व 2020 की सभी को शुभकामनायें,बधाई 

*जय महेश स्वीकारो नमन*

जय महेश स्वीकारो नमन

नमन तुम्हे करता मेरा मन

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

भोले जब कृपा तुम्हारी होगी

सेवा,सदाचार की बात होगी

होगा सद्विचारों का उदगम

सवंर जायेगा अज्ञानी मन

करो कृपा हर पल हर छन

स्मरण करता तुम्हे मेरा मन 

जय महेश स्वीकारो नमन

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

शीश गंग अर्धांग पार्वती

कर  मे त्रिशूल विराज रहा

कटि  मे बाघम्बर धारी 

शशी  मस्तक पर साज रहा

संकट आन पडा जग मे

पुकार रहा हर जन जन

जय महेश स्वीकारो नमन

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

शिव,कृपा जब आपकी होगी

गति संसार की निर्भय होगी

अभय दान सबको देकर

जग का विष  पी लो विषधर

कर  दो देव सुखो का उदगम 

आराधन करता तुम्हे मेरा मन 

जय महेश स्वीकारो नमन

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

शीला अशोक तापड़िया  नागपुर

 प्यार के रंग


प्यार ना होता दुनिया मे 

तो बेरंग सारे रंग होते

सार ना होता जीने में

नीरस सारे रस होते

सुख दुख भी ना होते

या दुख की ही बाते होती

हमदर्द भी ना होता कोई

पीर खुद सम्भालनी होती

रग रग में बहता लहू

खून नही पानी होता

आपसी मेलमिलाप बिना

रिश्तों का ना मतलब होता

प्यार की हजार नियामतें

प्यार से उठती मन मे हिलोर

प्यार बांधे दुनिया सारी

प्यार का कोई ओर ना छोर

         शीला अशोक तापड़िया

शुक्रवार, 25 जून 2021

महेश नवमी

 महेश नवमी पर्व 2021 की सभी को शुभकामनायें,बधाई 

*जय महेश स्वीकारो नमन*

जय महेश स्वीकारो नमन

नमन तुम्हे करता मेरा मन

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

भोले जब कृपा तुम्हारी होगी

सेवा,सदाचार की बात होगी

होगा सद्विचारों का उदगम

सवंर जायेगा अज्ञानी मन

करो कृपा हर पल हर छन

स्मरण करता तुम्हे मेरा मन 

जय महेश स्वीकारो नमन

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

शीश गंग अर्धांग पार्वती

कर  मे त्रिशूल विराज रहा

कटि  मे बाघम्बर धारी 

शशी  मस्तक पर साज रहा

संकट आन पडा जग मे

पुकार रहा हर जन जन

जय महेश स्वीकारो नमन

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

शिव,कृपा जब आपकी होगी

गति संसार की निर्भय होगी

अभय दान सबको देकर

जग का विष  पी लो विषधर

कर  दो देव सुखो का उदगम 

आराधन करता तुम्हे मेरा मन 

जय महेश स्वीकारो नमन

🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

शीला अशोक तापड़िया  नागपुर

बेटी और बचपन

 अपने बचपन को बेटी की आदतों में पाया है

घूम घूम कर हर बात में बचपन लौट आया है।

जय श्री कृष्ण! 


*बेटी और बचपन*


अठखेलियाँ करना चपल 

कूदना-फाँदना उसका 

जिससे चहकता घर आँगन 

पा लेती फिर, मैं बचपन।


ना पाया जब मनचाहा

ना मिला उसे मन माँगा

जो चेहरे पर आती शिकन

जी लेती मैं, फिर बचपन


नए कपड़ों से प्रेम विशेष 

इतरना उसका, उन्हें पहन

खिल उठता जो तन-मन

जी लेती मैं, फिर बचपन


भाई-बहन में गई जब ठन

और दोनों में हुई अनबन

सोच चेहरे पर आया गहन

जी लेती मैं, फिर बचपन


अपनी छवि का रखते ध्यान

कुशलता से करना हर काम

नुक्स रह जाए, नहीं सहन

जी लेती मैं, फिर बचपन


कर देती है उसे दीवाना

सफल होने की ललक

देख उसका दीवानापन

जी लेती मैं, फिर बचपन


नया कुछ करने का मन

तन-मन से करना जतन

देख उसका ये समर्पण 

जी लेती मैं, फिर बचपन


 शीला अशोक तापड़िया

सोमवार, 20 जनवरी 2014

ma sarsvati

माँ सरस्वती स्वीकारो नमन

माँ सरस्वती स्वीकारो नमन
नमन तुम्हे करता मेरा मन

माँ जब कृपा तुम्हारी होगी
ज्ञान अमृत की वर्षा होगी
होगा सद्विचारों का उदगम
सवंर जायेगा अज्ञानी मन
करो कृपा हर पल हर छन
स्मरण करता तुम्हे मेरा मन ,माँ सरस्वती। …

विद्या संगीत ललित कलाओ कि 
माँ तुम अनुपम  जननी  हो 
वीणा पुस्तक धारी माँ 
ज्ञान प्रकाश फैलाती हो 
पुकार रहा हर जन  मन 
समर्पण करता तुम्हे मेरा मन 
माँ सरस्वती। … 

तेरी कृपा जब हो जाये 
शब्द गीत मेरे बन जाये 
गीत संगीत विधाओ की 
वाणी मुझको मिल जाये 
बन जाओ गीतो का उदगम 
आराधन करता तुम्हे मेरा मन 
माँ सरस्वती। …। 

(वासंती पंचमी पर प्रकाशन हेतु )


शीला अशोक तापड़िया  नागपुर  09371493319