KATOL 🌳2🌳NAGAPUR
गुनगुना रही थी सुबह
धूप भी थी खिली खिली
चल पड़े हम भी वँहा
राह जहाँ सबकी मिली
👨👨👧👧👬👭👫👭👨👨👧👦
कुछ नए कुछ पुराने
साथीयो का साथ था
खेतो की पगडंडियों में
थामे एक दूजे का हाथ था
🤝🤝🤝🤝🤝
मटर बेर गन्ना अमरूद का
मुंह मे जबरदस्त स्वाद था
नास्ता और भोजन दोनो
क्या कहे लाजबाब था
😍😍😍😍😍
खेलो में छिपा हास परिहास
रिस्तो में घोलता मिठास
माटी की महक दिलो की चहक
मन को छू रही थी खास
☘☘☘☘☘☘
अपनेपन की गठरी ये बंधी रहे
ढीली ना पड़े पकड़ जतन यही रहे
साल दर साल उत्सव ये मनता रहे
मन मे लिए प्यार सिलसिला ये चलता रहे
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शीला अशोक तापडिया
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