*छोटी सी बड़ी बात*
जीवन सिर्फ अपना जीवन जीना ही नही होता
अपने आसपास के लोगो को सुखद अहसास प्रदान करे
इसमे ही
जीने की सार्थकता है*
नागपुर से 55-60 किलोमीटर दूर हमारा गांव है काटोल
हम वँहा जाते रहते पर सुबह जाते शाम को आजाते।
पर इस बार हम वँहा 8-10 दिन रुके,हमने देखा
सुबह सुबह घर के सामने हमारे परिचित *श्री अरुणजी व्यास* उम्र 70 + जिनके एक हाथ मे प्लास्टिक की बाल्टी और दूसरे हाथ मे प्लास्टिक का ही धामा याने घमेला था,और वो हर घर के सामने उस घर की बहू या बेटी को आवाज लगाते थे। और पूर्वनियत प्रोग्राम सा वो आती ,रात का बचा खाना ,रोटी ,घमेला में और दाल सब्जी हो तो बाल्टी में डाल देती
और वे बड़े स्नेह से उनके खेत से लाये बेल पत्ती,दुर्बा और फूल के साथ बहुत से आशीर्बाद दे रहे थे ।प्राप्त खाद्य सामग्री को लेजाकर वँहा की गोशाला में बड़ी तन्मयता से दे रहे थे।
मैं सोच रही थी जितना छोटा ये काम लगता उतना है नही एक सम्रद्ध व्यक्ति का सुबह सुबह हर घर से बचा खाना मांगना और उसे सही जगह पहुँचना
गायों का तो भला था ही बचा खाना भी अर्थ लग रहा था।
साथ ही चाहते हुए भी जो महिला प्रतिदिन गाय को रोटी नही दे पाती उन्हें वे अपराध भाव से मुक्ति दिला रहे थे ।गायों को रोटी देना हमारी भारतीय परंपरा का हिस्सा रही है
वँहा उनके द्वारा और भी अनेक जनउपयोगी कार्य किये जाते है
इस स्तुत्य और प्रेरणादायक कार्य के लिए उन्हें नमन🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻💐💐💐शीला अशोक तापडिया
नागपुर
9371493319
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