मन मेरे कर दिखलाओ
कोशिश कुछ पा जाने की
मन चाहा सबको नही मिलता
राह कठिन मगर नही मुश्किल
मंजिल अपनी खुद पा जाने की
हौसले तुम खुद के बढ़ाओ
रहो ना निर्भर ओरो पर तुम
कर बुलन्द मन की ताकत को
अपना सहारा स्वयं आप बनो तुम
जीवन के इस कैनवास पर
भर लो रंग मन मर्जी के तुम
जियो ओरो को भी जीने देना
मत भरना रंग खुद गर्जी के तुम
शीला अशोक तापड़िया
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