शनिवार, 26 जून 2021

ताँका

 बरसा प्यार 

अम्बर धरती का

जा गले मिले

भूल बैर पुराने

ये दो दोस्त दीवाने


सरसराती

हवा चली झूम के

रुक दीवानी

कर ना मनमानी

राह ये अनजानी


हरे बिछौने

लगे गुदगुदाने

धरा ने ओढ़े

पत्थर ना कंकड़

ना झाड़ ना झंकड


धूसर रंग

आसमां चारपाई

श्याम बिछोना

नरम नरम सी

मेघो ने बिछलाई

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