*गहने अपने अपने*
नीलू, चल आज मूवी चलते है।
नही मीनू मै आज नही जा पाऊंगी,आज मॉम के साथ ज्वेलरी शॉपिंग के लिये जाना है।
नीलू तुम कई बार मना कर देती हो,वेसे तुम इतने गहने लेती क्यो हो।
बस खुद को और दूसरो को खुश रखने ।उनके साथ जाकर मै भी सब सीख रही।
पर इतना हर बार केसे खरीद पाती हो?
कुछ नही मॉम कहती जहाँ चाह वहाँ राह।
परत तुमने दिखाया नही कभी।
अरे ये दिखाने वाले नही,फील गुड करने वाले गहने है।
मतलब
मतलब ये की माना सोने के गहनो का अपना आकर्षण है,पर जब हमारे जेसे मध्यम वर्ग के लोग उनके आकर्षण मे बंधते है तो,जीवन की छोटी छोटी खुशियो से वंचित रह जाते है। कई शौक के लिये मन मार कर राह जाते है।
पर हम उन्ही पेसो से जिंदगी जी लेते है,अपनी पसंद की चीजे,अच्छी सी किताब, कपडे,कॉफी मग सुन्दर सा छोटी मोटी ज्वेलरी या दादी के लिये साडी दादू के कोई पसंद की चीज,या कही घूमने चले जाते है।
एसी कई खुशियो का आनंद ले पाते है।मॉम कहती है ये गहने रोज मे आपके मुस्कुराहट को सुन्दरता प्रदान करते है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें