प्यार के रंग
प्यार ना होता दुनिया मे
तो बेरंग सारे रंग होते
सार ना होता जीने में
नीरस सारे रस होते
सुख दुख भी ना होते
या दुख की ही बाते होती
हमदर्द भी ना होता कोई
पीर खुद सम्भालनी होती
रग रग में बहता लहू
खून नही पानी होता
आपसी मेलमिलाप बिना
रिश्तों का ना मतलब होता
प्यार की हजार नियामतें
प्यार से उठती मन मे हिलोर
प्यार बांधे दुनिया सारी
प्यार का कोई ओर ना छोर
शीला अशोक तापड़िया
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