शनिवार, 26 जून 2021

 प्यार के रंग


प्यार ना होता दुनिया मे 

तो बेरंग सारे रंग होते

सार ना होता जीने में

नीरस सारे रस होते

सुख दुख भी ना होते

या दुख की ही बाते होती

हमदर्द भी ना होता कोई

पीर खुद सम्भालनी होती

रग रग में बहता लहू

खून नही पानी होता

आपसी मेलमिलाप बिना

रिश्तों का ना मतलब होता

प्यार की हजार नियामतें

प्यार से उठती मन मे हिलोर

प्यार बांधे दुनिया सारी

प्यार का कोई ओर ना छोर

         शीला अशोक तापड़िया

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