[14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: वर्ण पिरामिड
जो[14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: आंखों मे बसे
सपने रंग बिरंगे
जी भर जीले
रे मन जाग
सबेरे की आस मे
रात तू सोया
अलसाई है भोर
कर रही विभोर
देखती आंखें
अवचेतन मन
दिखाता ख्वाव
सपनों की दुनिया
निराली अनुपम
स्वप्न संसार
कर रहा अपार
मिथ व्यापार
उठ प्रपंच तोड
अब चेतन होजा
खुले नयन
ये विस्मृत सपन
भोर सुहानी
नींद ले उडे
जब ख्वाव तुम्हारे
पूरे कर लो
[14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: हाईकु
कलश भर
तारे लुढका गई
आज चांदनी
अबंर धरा
कभी भी न मिलते
साथ चलते
खुले नयन
ये विस्मृत सपन
भोर सुहानी
नींद ले उडे
जब ख्वाव तुम्हारे
पूरे कर लो
नीर नदी का
कल-कल बहता
पावन बन
जीवन पथ
चलाते चलो तुम
अपना रथ
तांकां
देखती आंखें
अवचेतन मन
दिखाता ख्वाव
सपनों की दुनिया
निरालीअनुपम
स्वप्न संसार
कर रहा अपार
मिथ व्यापार
उठ प्रपंच तोड
अब चेतन होजा
करे
मनन
व चिंतन
तथागत सा
पाते सदज्ञान
सत्य वचन जान
होगा जगत कल्याण
[14/6, 1:10 PM] Sheela Tapadia: चोका
दशावतार
जनहितकारक
देवकी सुत
कारागार जनमे
गहरा तम
वसुदेव गमन
प्रहरी सोयें
खुल गई जंजीर
बरसे नीर
यमुना बीच चले
गोकुल धरा
छोड आये ललना
रुदन भारी
जाग उठी यशोदा
नंद बुलाये
खुशी अपनी बतायें
ललन जायें
नंदोत्सव मनायें
मनमोहना
मन को अति भायें
जग हर्षायें
बलराम अनुज
घोष लगायें
हाथी घोडा पालकी
जै कन्हैया लाल की
🙏🙏🙏🙏
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