apni rchnao ko blog ke madhaym se sab tak phuchau.va adhik likhne ki prerna paao.
गुनगुनाती शाम
मुस्कूराकर नया
तराना दे गई
डूबते हुये दिलो को
पैगाम एक दे गई
आई है शाम तो
सुबह भी आयेगी
जिन्दगी मे धूप छांव
योही आयेगी जायेगी
तन्हा ही रह काफिला
तू अपना मत बना ले
मंजिल मिल जायेगी
समय ये गुजार ले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें