शनिवार, 26 जून 2021

गुनगुनाती शाम

 गुनगुनाती  शाम 

मुस्कूराकर नया 

तराना दे गई

डूबते हुये दिलो को 

पैगाम एक दे गई

आई है शाम तो 

सुबह भी आयेगी

जिन्दगी मे धूप छांव

 योही आयेगी जायेगी

तन्हा ही रह काफिला 

तू अपना मत बना ले

मंजिल मिल जायेगी

 समय ये गुजार  ले

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