मेरे भगवान
मेरे सखा राम
नमस्कार
अपनी कुशलता के साथ तुम्हारी कुशलता की मंगल कामना करते है।कामना इसलिए की ,कि सीता अब अयोध्या में नही तो, तुम्हारा ध्यान एक पत्नी एक सखा की भांति कौन रखता होगा। अर्धांगनी अनकही बातों को भी समझ निस्वार्थ भाव से पति का साथ निभाती मार्गदर्शक भी बन जाती है।
राम राज्य में सुशासन रहे,की चिंता , सीता के वियोग का दुख भी आत्मसात नही करने देती होगी।
प्यारे सखा कही तुम्हारे मन मे आत्म ग्लानि के भाव तो नही आ जाते
मर्यादा पुरुषोत्तम राम होने के बाद भी तुम मानव होने के सारे धर्म अत्यंत कुशलता से निभा रहे हो।
मित्र जब मन कभी पीड़ा से भर जाय, उसे हल्का करना हो तो अपने इस मित्र को याद कर लेना।
सम्पन्नता दे दूँ कृष्ण नही
रण में शौर्य दे दूँ कर्ण नही
छोटा सा सखा हूँ तुम्हारा
जानता दोस्ती का मर्म यही
आपसे सखा भाव की अपेक्षा में
आपकी एक नगण्य सखी
🙏🙏ममता तापड़िया🙏🙏
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