कश्मकश
मन मेरा भावनाएं मेरी
शब्द न खोज पाती हूँ
शब्द पा जाए अर्थ मेरे
बस इतना ही मैं चाहती हूँ
असमर्थ हूँ अपने भावो को
अपने मन की कश्मकश को
शब्दों के इस माया जाल से
क्या दे पाऊंगी पहचान को
हर शब्द कमतर लगता है
बहुतेरी है भावनाएं मेरी
मन की इस अकुलाहट को
क्या कर पाऊंगी परिभाषित
शीला तापड़िया
नागपुर
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