जन-जन आज जागगया है,
अपनी शक्ति पहचान गया है
तुमने अब ललकारा है,
अस्तित्व न छोटा हमारा है.
हमसे हमारी पहचान कराई
सबकुछ अच्छा होगा आस जगाई
जूझ रहे थे हम अपने-अपने में,
सुख मिलेगा भी क्या सपने में
जन साधारण को बात बताई,
उठो जागो नींद से भाई.
भ्रष्ट प्रशासन भ्रष्ट adhikari,
ghotalo की गिनती भरी.
जाग गये अब हम सारे,
किसमे हिम्मत हमे ललकारे.
भ्रस्टाचार से आजादी पानी है,
मिलकर कहना नई कहानी है.
तिलमिलाहट को नही दवाना है
भीख नही हक पाना है.
अभी नही तो कभी नही जान जाओ.
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