देखते ही देखते एक सितारा आगे निकल गया
ओरो से अलग अपनी चमक बिखेर गया
यो तो आसमान में कई सितारे प्रकाशमान
बिखेर रहे अपनी चमक अपनी अपनी नियति मान .
अपनी जगह अपने लोग बस अपनों पर रख नजर
बढ़ा नही पाते आगे कदम जाते वही ठहर
दुनिया की चमक होती फीकी देख मन कर रहा था चीत्कार
मन की शक्ति तन की शक्ति बन कर रही थी ललकार
नही चलेगा कम ऐसे नही चलेगी मनमानी
और नही बस और नही करने की कुछ मन में ठानी
एक जगह उसे नही अब ठहरना था
पाई थी जो चमक इंसानियत की सब और बिखेर ना था
जोड़ कर धागा धागा ताना बाना एक बुना
झकझोर गई लोगो को एक नही कई गुना
टटोल रहे थे सब दिल पर रख कर हाथ
कलंक धोना होगा जो लगा मानवता के माथ
झकझोर गई लोगो को एक नही कई गुना
टटोल रहे थे सब दिल पर रख कर हाथ
कलंक धोना होगा जो लगा मानवता के माथ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें