श्री
मन मेरे कुछ कर दिखलाओ,
कर चाहत कुछ कर जाने की ,
मन चाहा सबको नही मिलता ,
राह कठिन नही मुश्किल ,
मंजिल तक जाने की।
हौंसले तुम ख़ुद के बढाओ ,
रहो न निर्भर ओरो पर तुम,
कर बुलंद मन की ताकत को,
अपना सहारा आप बनो तुम।
जीवन के इस केनवास पर ,
भर लो रंग मन मर्जी के,
जियो ओरो को भी जीने दो,
मत भरना रंग ख़ुद गरजी के।
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