सोमवार, 20 मई 2013

panch tatva

तेरा है ना मेरा है
ये तन पञ्च तत्व का डेरा है .
आकाश,जल,वायु अग्नि ,पृथ्वी से
निर्मित ये एक  बसेरा है .

नभ
नभ में पसरा दूर दूर तक
विशालता का समंदर है
क्षमताओ को और बढाले
रहती जो तेरे भी अन्दर है

हवा
हवा प्राण है वायु बनकर
बहती जो रग रग में है
 गति इसकी सधी रहे तो
साथ निभाती पग पग में है

जल
नदी तालाब झरने
मोह लेते मन को है
जल तत्व की महिमा न्यारी
रस भर डरते जीवन में है

अग्नि
प्रीति और भय दोनों दिखा कर
रिश्तो में गर्माहट रखती
आग बनी रहे तन मन में तो
जीवन को जीवन बनाये रखती

पृथ्वी
धेर्य रख धरती सिखाती
 बन जाते है बिगड़े काम
बचपन बिता जिनका माटी संग
दूर से बीमारियों को करते प्रणाम

अंत में
हर तत्व की है अपनी विशेषता
पर संतुलन से ही बनते काम
जीवन जब खतम हो जाता
प्रकर्ति समेत लेती पल में तमाम


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