अंग्रेजो को बाहर निकालो ये है भारत देश हमारा.
आज पराधीन सबसे है भारत, मुश्किल है सबका जीना .
किस -किस से आजाद कराये महंगाई खड़ी खोल कर सीना.
रोटी कपडा मकान को जूझते,गाँव और शहर के वासी.
बिजली ,पानी ने कमर तोड़ दी छाई है सब और उदासी.
आचार -विचार का प्रदुषण ,भ्रस्टाचार,सब फेलाया है.
प्रदुषण की mar से हर जान आज घबराया है.
यंहा-वंहा होते विस्फोटो ने इंसानियत की कमर तोड़ी है
अतिव्रस्ती और अनावर्ती ने कोई क़सरन छोड़ी है.
युगों से पूजे जाने वाला भारत अपनों ही से हरा है.
दूर होती नारी की लज्जा नारीत्व ने किया किनारा है.
सब मिल कर हल कोई खोजे सबकी जिम्मदारी है.
संस्कार हमारे, हमे सीखते नेक कर्मो से बदलती दुनिया सारी है.
bohot acha likha aunty....kisi publication ko bhejo aap....
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