रविवार, 31 मई 2009

बचपन

अठखेलिया करना ,कूदना फांदना उसका,
जिससे चहकता घर आंगन पा लेती मै फिर बचपन .
न पाया जब मनचाहा,न मिला मन माँगा
फिर चेहरे पर आई शिकन,जी लेती मै फिर बचपन.
नये कपड़ो से विशेष प्रेम,इतरना फिर उसको पहन ,
खिल उठता उसका तनमन ,जी लेती मै फिर बचपन.
भाई बहन में जब गई ठन,और हुई दोनों में अनबन
सोच चेहरे पर आता गहन ,जी लेती मै फिर बचपन .
अपनी छबि का उसको ध्यान, कमी कोई बताये नही है सहन
और सोच में होता उसका जहन,जी लेती मै फिर बचपन .
कर देती है उसको दीवाना ,कुछ करने की उसकी ललक ,
देख उसका दीवानापन ,पा लेती मै फिर बचपन .
नया कुछ करने की उसकी sanak ,tan man से करना jatan .
देख उसका पूरा समर्पण ,जी लेती मै फिर बचपन

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर एंव भावपूर्ण कविता

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  2. इस नए वर्ष में नए ब्‍लॉग के साथ आपका हिन्‍दी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. आशा है आप यहां नियमित लिखते हुए इस दुनिया में अपनी पहचान बनाने में कामयाब होंगे .. आपके और आपके परिवार के लिए नया वर्ष मंगलमय हो !!

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  3. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें

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  4. tabhi to wo geet yaad aata hai

    ये दौलत भी ले लो ये शौहरत भी ले लो...
    भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
    मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन...
    वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी...

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